श्रुति नेगी :
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वह 23 वर्ष की एक वयस्क महिला है, जिसके माता-पिता, उसकी यौन अभिविन्यास (sexual orientation) और समलैंगिक (lesbian) महिला के रूप में पहचान के बारे में पूरी तरह से संज्ञान होने के बावजूद, उसकी एक व्यक्ति से जबरन शादी करा दी और उसे एक समलैंगिक संबंध में रहने के लिए मजबूर किया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली पुलिस को एक समलैंगिक महिला को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता को सिंगल बेंच ने सुरक्षा प्रदान करने के लिए लाजपत नगर एसएचओ को निर्देश जारी किया। याचिकाकर्ती अदालत से यह भी मांग कर रहा थी कि उसके पिता, सासुर और उसके पति के आदेश या निर्देश दिया जाए की उसके साथ कोई संवाद शुरू करने या उसे डराने या धमकी देने की कोशिश न करे, विशेषकर उसके पैतृक या वैवाहिक घर लौटने के संबंध में और ‘सुधार’ सर्जरी, रस्मे या समारोह उसके यौन अभिविन्यास (sexual orientation) को बदलने के लिए।
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