ग्रेटर नोएडा। कपिल तोंगड़
गौतम बुध नगर में इस समय तीन औद्योगिक प्राधिकरण कार्य कर रहे हैं। जिनमें सबसे पहले नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई थी। उसके बाद ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण, और सबसे आखिर में यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापना हुई। जैसे कि इन प्राधिकरण के नाम से ही पता लग रहा है कि इनकी स्थापना क्षेत्र में उद्योगों के विकास के लिए की गई थी। जिसमें इन्हें जिले में ज्यादा से ज्यादा उद्योग स्थापित करने थे और उन्हें बेहतर से बेहतर सुविधाएं प्रदान करनी थी। लेकिन अगर हम आज की स्थिति पर बात करें तो यह तीनों प्राधिकरण अपने जन्म के उद्देश्य को भूल चुके हैं।
इस समय प्राधिकरण में औद्योगिक, रिहायशी, कमर्शियल आदि प्लॉट बेचने का एक नया चलन चला है जिसमें प्लॉटों की बोली लगाई जाती है या कहे तो नीलामी के जरिए प्लॉट बेचने शुरू कर दिया है जो कि उद्योगों और शहर में अपना घर बनाने वाले आम आदमी के लिए सबसे बुरे दिन है। प्राधिकरण द्वारा प्लॉट नीलामी के जरिए बेचे जाना एक काला अध्याय साबित होगा, प्राधिकरण की स्थापना शहर को बसाना, हर वर्ग को घर देना और उद्योगों के लिए सस्ती दर पर जमीन उपलब्ध कराना था। ना कि महंगे रेट पर जमीन बेचना।
प्राधिकरण अपने मूल काम को भूल कर प्रॉपर्टी डीलिंग करने लगे हैं
नीलामी के जरिए प्लॉट बेचने की प्रथा यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने शुरू की थी। जिसे देखा देख दूसरे प्राधिकरण में भी इसकी शुरुआत हो गई है। क्या प्राधिकरण का उद्देश्य महंगे दामों पर जमीन बेचना ही है क्या? प्राधिकरण की स्थापना प्रॉपर्टी डीलिंग के काम के लिए की गई थी किसान से सस्ते दाम पर जमीन लेकर नीलामी के जरिए महंगे से महंगे दाम पर बेचना एकमात्र उद्देश्य प्राधिकरण का रह गया है प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी औद्योगिक प्लॉट महंगे दामों पर बेचकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं जबकि उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए छोटे उद्यमी उद्योग लगाने के लिए कभी भी महंगे दामों पर जमीन नहीं खरीदते हैं।
नीलामी के जरिए प्लॉट बेचकर छोटे उद्यमी और आम आदमी को शहर से दूर करना चाहते हैं क्या
आए दिन प्राधिकरण से खबर आती रहती है कि आज एक प्लॉट नीलामी प्रक्रिया के तहत अपने कीमत से 200% ज्यादा कीमत पर बिका (जिन प्लॉटों की कीमत प्राधिकरण के रेट के हिसाब से एक करोड़ होनी चाहिए वह नीलामी के तहत 2 करोड़ में बिक रहे हैं) जिस तरह से नीलामी प्रक्रिया चल रही है हर तरह के प्लॉट नीलामी के तहत ही बेचे जा रहे हैं उसे देखकर ऐसा लग रहा है यह प्राधिकरण छोटे उद्यमी और आम आदमी को शहर से दूर करना चाहते हैं यहां सिर्फ बड़े बिजनेसमैन और अभी लोग भी रहेंगे क्योंकि आम आदमी सिर्फ बेस्ट एलॉटमेंट प्राइस पर सकता है बोली लगाना उसके बस की बात नहीं और यही हाल छोटे उद्यमियों का है उनके पास लिमिटेड पूजी होती है उसमें वह बोली लगाकर प्लॉट खरीदे या अपना उद्योग लगाए। अगर बिल्डर नीलामी प्रक्रिया के तहत प्लॉट दुगनी कीमत पर खरीदेगा तो फिर लोगों को फ्लैट भी दोगुनी कीमत पर मिलेंगे प्राधिकरण अपना मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों के शहर में घर खरीदने के सपने को चकनाचूर कर रहा है
नीलामी के माध्यम से जो प्लॉट बेचे जा रहे हैं उन्हें 75% इन्वेस्टर खरीद रहे हैं।
प्राधिकरण द्वारा औद्योगिक प्लॉट जो नीलामी माध्यम से बेचे जा रहे हैं उन्हें खरीदने वाले 75% लोग इन्वेस्टर है जो अपना पैसा बढ़ाने के लिए यह प्लॉट खरीद रहे हैं अगर प्लॉट इन्वेस्टर खरीदेंगे तो उद्योग कौन लगाएगा। क्षेत्र के लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा क्षेत्र का विकास कैसे होगा?
उत्तर प्रदेश सरकार को प्लॉटों के लिए नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगा देनी चाहिए। अगर हमें सही मायने में उद्योग स्थापित करने है। और हर वर्ग को प्लॉट उपलब्ध कराने हैं अगर ये प्लॉटों में नीलामी प्रक्रिया बंद नहीं हुई तो भविष्य में इसके बड़े नुकसान होगा। जमीन तो महंगे रेटों पर बिक जाएगी लेकिन उद्योग कौन चलाएगा सरकार को टैक्स कैसे मिलेगा।