नोएडा की हाईराइज सोसाइटियों में रहना ‘डायस्टोपियन’ सपने के जैसा, जानिए इसका मतलब

नोएडा। लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह के विचार साझा करते रहते हैं। साथ ही वो जिस शहर में रह रहे हैं, वहां का भी अनुभव शेयर करते हैं। इसी तरह एक शख्स ने ट्विटर पर विचार साझा किए हैं, जो नोएडा में रहता है।
उसने (Matcha नाम से ट्विटर पर अकाउंट) एक के बाद एक ट्वीट किए हैं। कहा कि नोएडा हाईराइज सोसाइटी में रहना एक ‘डायस्टोपियन’ फीवर ड्रीम में रहने जैसा है। यहां सुरक्षा एक हवाई अड्डे से भी कड़ी है। इन सोसाइटियों में प्रवेश करना वीजा अपॉइंटमेंट लेने जितना ही मुश्किल है।
यहां 7-8 साल की लड़की के साथ पार्क में खेलने वाले बच्चे हैं (जिनकी ज्यादातर उनकी पूर्णकालिक हाउस हेल्प की बेटी है) इनमें से प्रत्येक बच्चे को पानी की बोतल के साथ टैग किया। अगर आपके पास कार नहीं है तो क्षेत्र आपके लिए दुर्गम हैं।
निकटतम पेट्रोल पंप हमेशा 10 किमी दूर है। ड्राइव थ्रू कल्चर इतना सामान्य है कि लोग अपनी कार पार्क नहीं करते हैं, वे बस अपनी कारों में बैठते हैं जबकि फूड ट्रक का हेल्पर पहले मेन्यू लेकर आता है, फिर दोबारा आपका ऑर्डर लेने के लिए, फिर आपको खाना परोसने के लिए, फिर आपकी से थाली लेने के लिए, एक बार फिर से थाली इकट्ठा करने के लिए।
प्रत्येक फूट ट्रक के आसपास औसतन सात कारें होती हैं। जो सर्विस रोड को पूरी से ब्लॉक कर देते हैं।

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