ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर किसान सभा का आंदोलन खत्म, किसानों और प्राधिकरण के बीच सहमति बनी, किसानों को सीईओ रवि कुमार पर भरोसा

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

किसान सभा के लगातार आंदोलन के आठवें महीने में और लगातार धरने के 123वें दिन आखिरकार किसानो और प्राधिकरण के बीच किसानों के सभी मुद्दों पर सहमति बनी। सहमति के बाद 1 नवंबर तक धरने को स्थगित किया गया है। आंदोलन को आज किसान सभा के धरने के 123 वें दिन प्राधिकरण और किसानों के बीच हुआ ऐतिहासिक लिखित समझौता हुआ। समझौते के अनुसार 10% आबादी प्लाट नए कानून को लागू करने सहित सभी मुद्दों पर प्राधिकरण और किसानों के बीच 100% सहमति बन गई है। ज्यादातर मसले अक्टूबर माह में होने वाली प्राधिकरण की बोर्ड बैठक से पास कर दिए जाएंगे। मुख्य मुद्दा 10% आबादी प्लाट को अक्टूबर माह की बोर्ड बैठक से पास कर दिया जाएगा। इस तरह किसान सभा के आंदोलन में समय सीमा के अंतर्गत सभी मुद्दों पर लिखित समझौता संपन्न कर मीटिंग मिनट प्राप्त की है।

किसान सभा के प्रवक्ता डॉक्टर रुपेश वर्मा ने समझौते के बारे में 3 दिन से चल रही प्रक्रिया के अनुसार धरने पर मौजूद सैकड़ो लोगों का अवगत कराया कि 3 दिन से समझौते का ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। ड्राफ्ट को किसान सभा की जिला एक्शन कमेटी ने अनुमोदित किया है कमेटी के अनुमोदन के बाद धरनारत किसानों के सदन ने समझौते का अनुमोदन किया है और धरने को 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने कहा कि नए मुख्य कार्यपालक अधिकारी से किसानों को समझौते के अनुसार कार्रवाई करने का पूर्ण आश्वासन मिला है और किसानों को ऐसे सकारात्मक मुख्य कार्यपालक अधिकारी से कार्रवाई की पूरी आशा है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने धरना स्थल पर आकर किसानों से वादा किया कि वह भी किसान परिवार से हैं और किसानो की सभी समस्याओं को गंभीरता के साथ हल करने का काम करेंगे किसान सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रह्मपाल सूबेदार ने कहा कि यह लड़ाई लोगों की सामूहिक भावना के आधार पर जीती गई है। विपक्षी पार्टियों और सभी किसान संगठनों का भूतपूर्व सहयोग मिलने की वजह से लड़ाई अपने मुकाम तक पहुंची है

किसान सभा के जिला सचिव जगदीश नंबरदार में सभी पक्षी पार्टी के नेताओं एवं सभी सहयोगी किसान संगठनों का आभार व्यक्त किया साथी किसान आंदोलन के दौरान रात दिन भूमिका निभाने वाली महिलाओं और किसानों का आभार प्रकट किया सभी किसानों ने इंकलाबी नारे लगाए और भविष्य की लड़ाई के लिए मुस्तादी के साथ तैयारी करने का और आंदोलन करने का वादा किया।

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