अवैध निर्माण के दोषी सिर्फ कॉलोनाइजर ही है या प्राधिकरण के अधिकारियों का भी सहयोग है?

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

शहर में आजकल जगह-जगह बुलडोजर चलने की खबरें आ रही है। हर रोज किसी न किसी अवैध निर्माण को तोड़ा जा रहा है। लेकिन फिर क्यों अगले ही रोज निर्माण फिर शुरू हो जाता है। प्राधिकरण के अधिकारियों की कोई भूमिका तो इसमें नहीं?

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले कुछ गांव है जैसे तुस्याना, हबीबपुर, खेड़ा चौगानपुर इन आदि गांव में अवैध निर्माण जोरो से चल रहा है। कई बार इनको तोड़ने की खानापूर्ति भी की गई। कुछ को सील भी किया गया। लेकिन कुछ ही दिनों में कार्य फिर रफ्तार पकड़ लेता है जो सील किए हुए अवैध निर्माण होता है उसकी भी सील हटा दी जाती हैं और फिर खेल शुरू होता है कॉलोनाइजर और अधिकारी की साठगांठ का।

प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों की संपत्तियां बहुत तेजी से बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जिस अधिकारी कर्मचारी की 50 हजार महीना के लगभग तनख्वा है वह बढ़िया गाड़ी में ड्राइवर के साथ चल रहा है। संपत्तियों खरीद रहे हैं आलीशान जिंदगी जी जा रही है क्या इसका सोर्स अवैध निर्माण से ही तो नहीं, बात सोचने वाली है।

जांच तो अधिकारियों की भूमिका की भी होनी चाहिए आखिर इनकी भी तो जिम्मेदारी है कोई अवैध निर्माण एक दिन में तो नहीं होता है महीनों- सालों लगते हैं आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना है तो यह जानना मुश्किल नहीं होगा, किसके कार्यकाल में कितना अवैध निर्माण हुआ है।

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