ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सीईओ एनजी रवि कुमार के चार्ज संभालने के बाद से कुछ बदलाव आने शुरू हुए थे और स्थिति सुधरने लगी थी। लेकिन पिछले कुछ समय से निचले स्तर के लिए जो आदेश ऊपर से चलते हैं नीचे पहुंचते – पहुंचते कमजोर पड़ जाते हैं जमीन पर उनका असर उतना देखने को नहीं मिलता जितना कि ऊपर से आदेश दिया हुआ होता है।
प्राधिकरण में तैनात एसीईओ स्तर के अधिकारी बेहद जिम्मेदारी और सतर्कता के साथ कार्यों को कर रहे हैं हर फाइल की पूरी जांच पड़ताल की जाती है और कोशिश की जाती है कि इसमें भ्रष्टाचार और गड़बड़ी की गुंजाइश न के बराबर हो, लेकिन नीचे के कर्मचारी उनकी इस कार्य शैली का फायदा उठाने की पूरी कोशिश में रहते हैं और अपने काम के लिए आने वाले लोगों को बताते हैं कि ऊपर से काम नहीं हो रहा है।
कुछ अधिकारी रखे गए थे प्राधिकरण में सहयोग देने के लिए
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कुछ रिटायर अधिकारियों को प्राधिकरण में अपनी सेवाएं देने के लिए रखा गया था। लेकिन वह अधिकारी प्राधिकरण को अपनी सेवा देने के साथ-साथ अपना सेवा शुल्क लेने में भी पीछे नहीं रहते हैं बल्कि अवसरों की तलाश में खूब हाथ पैर भी मारते हैं।
सीईओ एनजी रवि कुमार को निचले स्तर पर सतर्कता और बढ़ानी होगी। जो लोग 10 से 15 सालों से एक ही सीट पर जमे हुए हैं उन्हें भी बदलने की जरूरत है। कुछ विभागों में भ्रष्टाचार की चर्चाएं आम है। जीएम और डीजीएम के सुविधा शुल्क लेने की चर्चाएं भी प्राधिकरण में खुलेआम होती है एक बार फाइल विभाग में आई तो 2 महीने के लिए भूल जाइए कि वह वापस भी जाएगी।