ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
उत्तर प्रदेश में एक जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं। डीजीपी प्रशांत कुमार ने घोषणा की है कि अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत एफआईआर दर्ज की जाएंगी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस बदलाव के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और एक जुलाई से नई धाराओं के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। बीएनएस की धाराओं के अनुसार सभी थानों में रिपोर्ट लिखने की व्यवस्था की जा चुकी है। प्रशांत कुमार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि पुलिस कर्मियों को नए कानूनों और प्रावधानों के बारे में आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है ताकि संक्रमण की प्रक्रिया सुगम हो सके।
भारतीय न्याय संहिता
भारतीय न्याय संहिता में किए गए महत्वपूर्ण बदलावों पर चर्चा करते हुए श्री मिश्र ने बताया कि नई संहिता का मुख्य उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाना है। इसके तहत न्यायिक प्रक्रिया में सुधार करते हुए अदालती कार्यवाही को अधिक कुशल और समयबद्ध बनाने के प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस संहिता में विभिन्न अपराधों के लिए सजा के प्रावधानों में भी बदलाव किया गया है ताकि अपराधियों को जल्द से जल्द न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सके।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए नए प्रावधान किए गए हैं। श्री मिश्र ने बताया कि इस संहिता में नागरिकों की सुरक्षा के लिए पुलिस की जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया गया है। इसके अंतर्गत पुलिस को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करने और उन्हें समय पर सहायता प्रदान करने के प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावा, आपातकालीन परिस्थितियों में पुलिस की भूमिका और कर्तव्यों को भी इस संहिता में स्पष्ट किया गया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023
भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 के अंतर्गत साक्ष्य संग्रहण और प्रस्तुतिकरण की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। श्री मिश्र ने बताया कि इस अधिनियम के तहत साक्ष्य संग्रहण की प्रक्रिया को अधिक वैज्ञानिक और तकनीकी बनाते हुए साक्ष्य की विश्वसनीयता को बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने इस अधिनियम के प्रावधानों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि साक्ष्य संग्रहण और प्रस्तुतिकरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नए प्रावधान किए गए हैं।
बीट पुलिसकर्मियों की भूमिका
गोष्ठी में बीट पुलिसकर्मियों की भूमिका पर भी चर्चा की गई। श्री मिश्र ने निर्देश दिए कि बीट पुलिसकर्मी स्थानीय नागरिकों को तीनों कानूनों के बारे में जागरूक करें और उन्हें इन कानूनों के अनुपालन के महत्व के बारे में समझाएं। इसके साथ ही, उन्होंने निर्देश दिए कि सभी वैधानिक कार्रवाई नए कानूनों के तहत प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की जाए।
व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना
पुलिस विभाग ने नई धाराओं के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए ठोस कदम उठाए हैं। इसके तहत पुलिस मुख्यालय और जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं और समन्वय समितियाँ गठित की गई हैं। ये समितियाँ नए कानूनों के कार्यान्वयन में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर करने के लिए काम करेंगी। पुलिस की यह पहल सुनिश्चित करेगी कि नए नियम प्रभावी रूप से लागू हों और जनता में जागरूकता बढ़े। इस समन्वित प्रयास का उद्देश्य कानून व्यवस्था को मजबूत करना और नई धाराओं के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाना है।
ई-साक्ष्य एप की सुविधा
नए कानूनों के तहत, पुलिस ने ई-साक्ष्य एप लॉन्च किया है, जो अपराध स्थल की वीडियोग्राफी करने में सक्षम है। इस एप के जरिए एकत्रित वीडियोग्राफी को अदालत में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। यह एप विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता देता है, जिससे उनके मामलों में तेजी और पारदर्शिता आ सके। अब अपराध स्थल की वीडियोग्राफी के जरिए साक्ष्य जुटाना और उन्हें अदालत में पेश करना आसान और प्रभावी हो गया है।
पॉक्सो एक्ट के मामलों की जांच अब दो महीने के भीतर होगी पूरी
दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के मामलों की जांच अब दो महीने के भीतर पूरी करनी होगी। इसके साथ ही, पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर अपने मामले की प्रगति के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। इस प्रावधान का उद्देश्य मामलों की त्वरित और प्रभावी जांच सुनिश्चित करना है, जिससे पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सके।
विदेशी आरोपितों के लिए प्रावधान
विदेश में रहने वाले व्यक्तियों को भी अपराध में शामिल होने पर आरोपित किया जा सकेगा। यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को अपराध में शामिल करता है, तो उसे तीन से दस वर्ष तक की सजा दी जा सकती है।
एफआइआर की प्रति निशुल्क
अब पीड़ित को एफआइआर की प्रति निशुल्क दी जाएगी। दुष्कर्म और एसिड अटैक मामलों में पीड़िता का बयान महिला मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा। जाति, समुदाय, लिंग आदि के आधार पर भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या करने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है। एक से अधिक बार चोरी करने पर पांच वर्ष तक की सजा दी जा सकती है।
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