ग्रेटर नोएडा: अधिसूचित क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण का बढ़ता जाल, ग्रेप-3 की पाबंदियों के बावजूद धड़ल्ले से जारी निर्माण कार्य

ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida authority) के अधिसूचित क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण और निर्माण कार्य तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप-3) की सख्त पाबंदियों के बावजूद अवैध कॉलोनी (illegal colony) और कई स्थानों पर निर्माण कार्य बिना रोक-टोक जारी है। प्राधिकरण की ढीली निगरानी निष्क्रियता और कुछ अधिकारियो की मिलभगत के चलते अवैध कॉलोनियों का जाल दिन-ब-दिन फैलता जा रहा है।

ग्रेप-3 की पाबंदियों की अनदेखी

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रेप-3 के तहत निर्माण और तोड़फोड़ पर पाबंदी है। इसके बावजूद ग्रेटर नोएडा में कई स्थानों पर अवैध निर्माण कार्य धड़ल्ले से हो रहे हैं। निर्माण सामग्री और भारी मशीनों की गतिविधियां हर रोज देखी जा रही हैं। यह प्राधिकरण की लापरवाही को उजागर करता है।

अवैध अतिक्रमण का बढ़ता जाल, प्राधिकरण की निष्क्रियता

ग्रेटर नोएडा के अधिसूचित क्षेत्रों और प्राधिकरण की भूमि पर कब्जा किया जा रहा है और अवैध प्लॉटिंग व निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी हैं। ग्रेटर नोएडा के गाँव भनौता, तिलपता, सुनपुरा, तुष्याना, जलपुरा, वैदपुरा, सादुल्लापुर, रोज़ा ज़लालपुर, अच्छेजा, आमका, खोदना और रूपवास आदि में अवैध निर्माण ज़ोरो से चल रहा है आम आदमी की जीवन भर की कमाई को लूटा रहे है लोगों को गुमहरा कर लूटा जा रहा है इसमें कलोनाइज़रो को  प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों का भी साथ मिल रहा हैं।ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद प्राधिकरण ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लोगों का आरोप है कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण यह समस्या बढ़ रही है।अपने पैसे के लिए कुछ कार्रवाई करते हैं उसके बाद अपना कमीशन फ़िक्स कर लेते है और अवैध निर्माण को संरक्षण देना शुरू कर देते है

पर्यावरण और शहरी नियोजन विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध अतिक्रमण और निर्माण कार्य न केवल क्षेत्र के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे, बल्कि भविष्य की विकास योजनाओं को भी बाधित करेंगे। ग्रेटर नोएडा में अवैध अतिक्रमण और निर्माण कार्यों की समस्या प्राधिकरण की निष्क्रियता के कारण दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। ग्रेप-3 की पाबंदियों की अनदेखी ने प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह देखना जरूरी होगा कि प्राधिकरण कब तक इस मुद्दे पर कार्रवाई करता है और क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बहाल करता है।


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