IIT Bombay: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे ने 2024 से प्लेसमेंट प्रक्रिया के दौरान छात्रों की जाति संबंधी जानकारी एकत्र करने की प्रथा को समाप्त कर दिया है। इससे पहले, संस्थान का प्लेसमेंट कार्यालय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) द्वारा भर्ती प्रक्रिया के लिए छात्रों की जाति श्रेणी की जानकारी एकत्र करता था। हालांकि, अब इस प्रक्रिया को बंद कर दिया गया है। यह जानकारी आईआईटी बॉम्बे ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) को दी, जहां एक शिकायत के तहत जातिगत भेदभाव के आरोप लगाए गए थे। आइए जानते है क्या है पूरा मामला। पूरी जानकारी के लिए खबर को अंत तक जरूर पढ़े।
धीरज सिंह ने शिकायत में IIT Bombay पर लगाए थे ये आरोप
यह मामला तब सामने आया जब नवंबर में ग्लोबल आईआईटी एल्युमनी सपोर्ट ग्रुप के संस्थापक धीरज सिंह ने एनसीएससी में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि प्लेसमेंट कार्यालय छात्रों से अनिवार्य रूप से उनकी जाति श्रेणी और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में उनकी श्रेणी रैंक भरने के लिए कह रहा था। सिंह का दावा था कि यह प्रक्रिया अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय के छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण थी और उनके प्लेसमेंट पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती थी।
NCSC को दिए प्रतिक्रिया में हुआ स्पष्ट
IIT Bombay ने एनसीएससी को दी गई अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट किया कि अब छात्रों की जाति श्रेणी की जानकारी एकत्र नहीं की जाती है और यह प्रथा 2024 में समाप्त कर दी गई थी। संस्थान ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करना है और किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करना उनकी प्राथमिकता है। इस निर्णय के बाद, छात्रों और सामाजिक संगठनों ने उम्मीद जताई है कि इससे संस्थान में प्लेसमेंट प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष होगी।
Discover more from Noida Views
Subscribe to get the latest posts sent to your email.