RBI: भारतीय रिज़र्व बैंक ने बुधवार को सोने के गिरवी कर्ज (Gold Loans) को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अब सोने पर दिए जाने वाले कर्ज के लिए सभी रेगुलेटेड एंटिटीज (REs) के लिए एकसमान और व्यापक दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। इस फैसले का मकसद विभिन्न संस्थाओं के लिए अब तक अलग-अलग नियमों को एकरूप बनाना और उनमें पाई गई अनियमितताओं को दूर करना है। इसके लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस तैयार की गई हैं, जिन पर सार्वजनिक सुझाव मांगे गए हैं।
RBI: इन वजहों से आरबीआई ने लिया फैसला
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 तक के आंकड़ों में गोल्ड लोन (Gold Loans) में तेज़ वृद्धि देखी गई है। लोगों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सोने को गिरवी रखने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। हालांकि, कुछ संस्थाओं द्वारा नियमों की अनदेखी की गई—जैसे कि गोल्ड वैल्यूएशन में गड़बड़ी, आउटसोर्सिंग में लापरवाही, और लोन की राशि के उपयोग पर निगरानी की कमी। इसे देखते हुए आरबीआई ने 30 सितंबर 2024 को सख्त दिशा-निर्देश जारी कर सभी संस्थाओं को अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं की समीक्षा करने के लिए कहा था।
इन प्रमुख कंपनिया देती है गोल्ड लोन
बता दे कि RBI की इस घोषणा के बाद गोल्ड लोन (Gold Loans) देने वाली प्रमुख कंपनियों मुथूट फाइनेंस, आईआईएफएल फाइनेंस, मनप्पुरम फाइनेंस और चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट के शेयरों में 7% तक की गिरावट देखी गई। मार्च 2024 तक एनबीएफसी का गोल्ड लोन बाजार में 59.9% हिस्सा था, जो उनकी अहम भूमिका को दर्शाता है। नए नियमों के लागू होने से इस क्षेत्र में पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी।
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