ग्रेटर नोएडा में जहाँ लगने थे उद्योग, वहा बन रहे है विला और कॉलोनी
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को एक प्लानिंग के तहत बसाया गया था। जिसका मास्टर प्लान बनाया गया…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को एक प्लानिंग के तहत बसाया गया था। जिसका मास्टर प्लान बनाया गया…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सिंगल स्टोरी भवनों व फ्लैटों की स्कीम के आवेदकों का ड्रा बुधवार…
नोएडा। कपिल चौधरी नोएडा में आसपास की सड़कों पर रहने वाले और काम करने वाले बच्चों ने आगे बढ़कर दिल्ली-एनसीआर…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सिंगल स्टोरी भवनों व फ्लैटों की स्कीम का ड्रा 8 व 9…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए अपर मुख्य सचिव पर्यावरण मनोज सिंह ने रविवार…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी न्यू ग्रेटर नोएडा एनसीआर में और खास होगा। यह शहर हाइटेक व मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रदूषण से…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासियों के लिए खुशखबरी है। अब ग्रेटर नोएडा वेस्ट के टेकजोन फोर…
उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की मंशा के…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में खुली अंधेर गर्दी चल रही है। जिधर भी नजर डालो वहीं से…
ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी यमुना विकास प्राधिकरण द्वारा जारी की गई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म सिटी परियोजना की प्री बिड मीटिंग प्राधिकरण…
नॉएडा व्यूज के बारे में : पत्रकारिता में दिनोंदिन कई गलत प्रचलन सामने आ रहे हैं, जैसे खबरों को गैर-जरूरी तरीके से संपादित करना, पेड न्यूज, निजी संबंधों के लाभ के लिए कुछ खबरों को चलाना आदि. मीडिया संस्थान अब खबर तक पहुंचना नहीं चाहते, उन्होंने पत्रकारिता की आड़ में व्यापारिक समझौते करने शुरू कर दिए हैं, कुछ जरुरी सूचनाएं और खबरें जनता तक पहुंचती ही नहीं हैं क्योंकि मीडिया संस्थान उन्हें किसी व्यक्ति या संस्था विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सामने लाना ही नहीं चाहते. धीरे-धीरे ही सही पर जनता भी इस बात को समझने लगी है कि पत्रकारिता खतरे में पड़ रही है. आमजन का मीडिया पर विश्वास कम हो रहा है. वही मीडिया जो लोकतंत्र का ‘चौथा स्तंभ’ होने का दम भरता था, अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है. इस उद्देश्य की तरफ ये हमारा छोटा ही सही पर महत्वपूर्ण कदम है. पत्रकारिता के इस स्वरूप को लेकर हमारी सोच के रास्ते में सिर्फ जरूरी संसाधनों की अनुपलब्धता ही बाधा है. हमारी पाठकों से बस इतनी गुजारिश है कि हमें पढ़ें, शेयर करें, इसके अलावा इसे और बेहतर करने में अपने सुझाव दें.
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