ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अजीब सी स्थिति बनती जा रही है। अधिकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सीईओ के बाद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में लगभग 6 आईएएस अधिकारी कार्य कर रहे हैं और साथ ही लगभग 8 पीसीएस अधिकारी कार्य कर रहे हैं। जबकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में कर्मचारियों की बेहद कमी है और उससे भी ज्यादा कमी है स्किल्ड कर्मचारियों की।
पीसीएस अधिकारियों के पास है इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के पद
काफी लंबे समय से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में महाप्रबंधक प्रोजेक्ट और डीजीएम प्रोजेक्ट का पद खाली है प्रोजेक्ट महाप्रबंधक के पद पर पीसीएस अधिकारी को कार्यभार सौंप हुए हैं। इंजीनियरिंग विभाग का अधिकारी लंबे समय से इस पद पर नहीं है। यही हाल वर्क सर्किलों में वरिष्ठ प्रबंधक और प्रबंधक का है एक वरिष्ठ प्रबंधक के पास कई कई वर्क सर्किलों का प्रभार है यही हाल अन्य विभागों का भी है। कंप्यूटर पर काम करने वाले बाबू की बेहद कमी है और जो है उनमें भी ज्यादातर कर्मचारी स्किल्ड नहीं है।
एक दिन में कई-कई मीटिंग और कुछ मीटिंग एक ही समय पर
बताया जाता है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ज्यादातर समय मीटिंग का दौर ही चलता रहता है। ज्यादा अधिकारी होने के कारण सभी के साथ मीटिंग करनी होती है और हर अधिकारी अलग-अलग मीटिंग करता है। पहले आईएएस अधिकारियों के साथ मीटिंग उसके बाद पीसीएस अधिकारियों के साथ मीटिंग और कई बार ऐसी स्थिति भी आ जाती है दो आईएएस अधिकारियों के साथ एक ही समय पर मीटिंग लग जाती है। तो ऐसी स्थिति में कर्मचारियों के लिए असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है कि पहले किस अधिकारी के पास जाए और अगर दूसरे के पास उसे समय पर नहीं पहुंचे तो उनके लिए खतरे की घंटी है।
अधिकारियों की संख्या बढ़ने से कार्य की रफ्तार नहीं बढ़ रही है। बल्कि फाइल के रुकने का समय बढ़ गया है और साथ ही मीटिंगों का दौर भी बढ़ गया है। प्राधिकरण को स्किल्ड कर्मचारियों की भर्ती करनी चाहिए और साथ ही अधिकारी और कर्मचारियों में संतुलन बनाकर के कार्य को रफ्तार दी जाए।
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