ग्रेटर नोएडा। कपिल चौधरी
एक तरफ जहां ग्रेटर नोएडा के किसान धरना दे रहे हैं। प्राधिकरण के चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं। अधिकारियों के हाथ जोड़ रहे हैं लेकिन उनकी फाइल एक जगह से दूसरी जगह के लिए हल नहीं पा रही है। वहीं दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कर्मचारियों के गलत कार्य भी गोली की स्पीड से होते हैं। किसान लीज बैक करने के लिए दर – दर की ठोकरे खा रहे हैं किसानों की ना आबादी बच रही है ना ही लीजबैक हो रही है। बाहर के लोग इसका लाभ ले रहे है।
किसानों का यह आरोप है कि प्राधिकरण का एक कर्मचारी जिसने वर्ष 2009 में थापखेड़ा गांव में 3500 वर्ग मीटर कृषि की जमीन खरीदी और जमीन को पहले आबादी में दर्ज कराया। फिर उसकी प्राधिकरण से ही लीजबैक की कार्रवाई कराई। ऐसे कार्य सिर्फ प्राधिकरण में ही हो सकते हैं और इस लीजबैक में प्राधिकरण के उस लेखपाल का हाथ है जिस पर लीजबैक एसआईटी जांच लीक करने का आरोप है।
किसानों के कार्य हो नहीं रहे हैं और कर्मचारी खुले तौर पर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे है। यह प्राधिकरण के अधिकारियों के लिए भी चुनौती है की कैसे एक कर्मचारी खुलेआम भ्रष्टाचार करके प्राधिकरण के सिस्टम से खेल रहे हैं। इसकी कब जांच होगी और कब इस पर कार्रवाई होगी।