नोएडा। दिव्यांशु ठाकुर
बच्चों में आंखों से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। कम उम्र में धुंधला दिखाई देने, चश्मा लगाने की जरूरत जैसी समस्याएं अब काफी आम हो गई हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इन दिक्कतों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें पौष्टिकता की कमी से लेकर बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम मायोपिया जैसी गंभीर समस्याओं को बढ़ा रहा है।
नजर कमजोर होने की समस्या
आमतौर पर नजर कमजोर होने और कम दिखाई देने को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या माना जाता है। हालांकि, आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चों में ये दिक्कतें तेजी से बढ़ रही हैं। नेत्र विशेषज्ञों के मुताबिक, बड़ी संख्या में 10 साल से कम उम्र के बच्चों में मायोपिया या निकट दृष्टिदोष का निदान किया जा रहा है। इसमें दूर की चीजों को देखने में कठिनाई होती है, जिसके लिए चश्मा पहनने की जरूरत हो सकती है।
बच्चों में बढ़ती आंखों की समस्या
बच्चों में बढ़ती आंखों की समस्याओं के अध्ययन से पता चलता है कि यह समस्या अक्सर 6 से 14 वर्ष की आयु के बीच शुरू होती है। अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए तो मायोपिक मैकुलोपैथी, रेटिनल डिटेचमेंट, ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी गंभीर स्थितियों का खतरा हो सकता है। आंकड़े बताते हैं कि लगभग 9% स्कूली आयु के बच्चों और 30% किशोरों को मायोपिया हो सकती है। गंभीर स्थितियों में या इसका उपचार न हो पाने पर आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा रहता है।
स्क्रीन टाइम के कारण बढ़ता खतरा
कंप्यूटर, मोबाइल या टीवी की स्क्रीन पर बच्चों का अधिक समय बिताना इस समस्या का प्रमुख कारण माना जा रहा है। मायोपिया के बढ़ते खतरे को लेकर ‘द लैंसेट डिजिटल हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, स्क्रीन टाइम ने बच्चों और युवाओं में मायोपिया के जोखिम को पहले की तुलना में काफी बढ़ा दिया है। स्मार्ट डिवाइस की स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताने से मायोपिया का खतरा 30 फीसदी तक बढ़ जाता है। कंप्यूटर के अत्यधिक उपयोग से यह जोखिम लगभग 80 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
मायोपिया की समस्या
नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) में रोगी को अपने निकट की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आती हैं। इसमें आंख का आकार बदल जाता है, और सामान्यत: आंख की सुरक्षात्मक बाहरी परत कॉर्निया के बड़े हो जाने के कारण यह समस्या होती है। ऐसी स्थिति में आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश ठीक से फोकस नहीं कर पाता है।
मायोपिया से बचाव के उपाय
अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थेल्मोलॉजी के विशेषज्ञों के अनुसार, जीवनशैली में कुछ बातों का ध्यान रखकर मायोपिया के खतरे को कम किया जा सकता है। सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा स्क्रीन से ज्यादा समय बाहर खेलने में बिताए। कंप्यूटर या अन्य डिजिटल डिवाइस पर स्क्रीन के समय को सीमित करें। बच्चों के आहार को पौष्टिक रखना भी जरूरी है। विटामिन-ए और ई के साथ बीटा कैरोटीन वाली चीजों को आहार का हिस्सा बनाना आंखों की समस्याओं को कम करने और नजर को बेहतर बनाए रखने में सहायक हो सकता है।