सफेद कोट का आतंक

हमारे देश में सालाना 10000 मरीजों की मौत डॉक्टरों की खराब , अस्पष्ट लिखावट के कारण होती है… दवाइयों उपचार आदि का नाम डॉक्टर जल्दी-जल्दी प्रिसक्रिप्शन अपने परिचय पर लिख देते हैं मरीज व फार्मासिस्ट की समझ में नहीं आ पाता… मरीज को गलत दवाई व उपचार का खामियाजा उठाना पड़ता है| आम मरीज की बात ही क्या हैंडराईटिंग_एक्सपर्ट भी डॉक्टरों की लिखावट को नहीं समझ सकते| भारत सरकार ने 2016 में नियम बनाया था कि डॉक्टर दवाई के पर्चे पर जेनेरिक मेडिसिन का नाम लिखेंगे वह दवाई व उपचार प्रिसक्रिप्शन कैपिटल लेटर में लिखेंगे स्पष्ट होना चाहिए आम आदमी की समझ में आना चाहिए… लेकिन देश के अधिकांश बड़े-बड़े डिग्रीधारी एमएस ,एमडी डॉक्टर इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं.. आखिर क्या फायदा आपके उच्च शिक्षित होने का इन सभी बिंदुओं पर मैंने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से #आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी आपको आश्चर्य होगा मेडिकल काउंसिल_ऑफ_इंडिया ने आज तक किसी डॉक्टर के विरुद्ध जेनेरिक मेडिसिन के स्थान पर.. ब्रांडेड दवाइयों का प्रिस्क्रिप्शन लिखने तथा अस्पष्ट लिखावट के लिए कार्रवाई नहीं किया आखिर क्यों करेंगे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में इनके जैसे ही लुटेरे डॉक्टर पदाधिकारी बैठे हैं अब समय आ गया है मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में कानून के जानकार, विधि प्रशासनिक क्षेत्र के व्यक्तियों की नियुक्ति होनी चाहिए|
डॉक्टरों के आतंक से इस देश को अब बचाना चाहिए आप हमारा सहयोग कीजिए .इस मामले में हमने केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री भारत सरकार को भी लिखा है|

आर्य सागर खारी

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