Samajwadi Party: सपा ने पश्चिमी यूपी में पीडीए पर खेला बड़ा दांव, Pramendra Bhati Advocate बने मेरठ-सहारनपुर स्नातक सीट से प्रत्याशी

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Samajwadi Party: समाजवादी पार्टी ने Western Uttar Pradesh में राजनीतिक समीकरणों को मजबूत करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। पार्टी ने विधान परिषद (Legislative Council) स्नातक चुनाव के लिए मेरठ-सहारनपुर सीट (Meerut-Saharanpur Graduates Constituency) से प्रमेंद्र भाटी एडवोकेट को प्रत्याशी घोषित किया है। यह कदम सपा की PDA (Picchde, Dalit, Alpsankhyak) नीति को और धार देने वाला माना जा रहा है। पार्टी के इस निर्णय से गुर्जर समाज और अधिवक्ता समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है। उनके समर्थक और शुभचिंतक लगातार उनके आवास पर बधाई देने पहुंच रहे हैं।


Pramendra Bhati Advocate वर्तमान में Bar Association Gautam Buddh Nagar के अध्यक्ष हैं और क्षेत्र में अधिवक्ताओं के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं। उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा उन्हें Samajwadi Party का प्रत्याशी बनाए जाना केवल व्यक्तिगत सम्मान नहीं, बल्कि समाज और अधिवक्ताओं के योगदान का सम्मान है। उन्होंने कहा, “PDA की लहर पूरे प्रदेश में चल रही है, और सपा ने जो विश्वास मुझ पर जताया है, उसे मैं कभी टूटने नहीं दूंगा।” भाटी का यह बयान पश्चिमी यूपी में सपा के लिए motivational factor बन गया है, खासकर युवा और वकील वर्ग में।


गौरतलब है कि मेरठ-सहारनपुर स्नातक खंड (Graduate Constituency) में गुर्जर समाज की मजबूत उपस्थिति है। इसके अलावा, अधिवक्ताओं की भी यहां बड़ी संख्या है, जिससे प्रमेंद्र भाटी का सीधा संपर्क जुड़ा हुआ है। वह दूसरी बार बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर के अध्यक्ष बने हैं और पहले दो बार Bar Council of Uttar Pradesh के सदस्य पद के चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि यह फैसला न केवल गुर्जर समाज को साधने के लिए है, बल्कि अधिवक्ता समुदाय के समर्थन को भी मजबूत करेगा यानी one move, multiple gains


इससे पहले समाजवादी पार्टी ने मेरठ-सहारनपुर शिक्षक सीट (Teacher Constituency) से नितिन तौमर को प्रत्याशी घोषित किया था। अब प्रमेंद्र भाटी की उम्मीदवारी से पार्टी ने साफ संकेत दिया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह social engineering और grassroot mobilization पर जोर दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा का यह कदम भाजपा के प्रभाव क्षेत्र में सेंध लगाने की रणनीति का हिस्सा है। यदि गुर्जर और अधिवक्ता समाज का समर्थन सपा को मिलता है, तो यह सीट पार्टी के लिए game changer साबित हो सकती है।

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