Calibration Flight: हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करने की अनिवार्य प्रक्रिया, जानिए कैसे होती है ये टेस्ट फ्लाइट

top-news

Calibration Flight: हवाई अड्डों की सुरक्षा और विमानन प्रणाली की सटीकता बनाए रखने के लिए Calibration Flight एक जरूरी प्रक्रिया है। यह परीक्षण हवाई अड्डों के Air Navigation और Communication Systems जैसे Instrument Landing System (ILS), VOR, और Radar की कार्यक्षमता को परखने के लिए किया जाता है। किसी भी नए हवाई अड्डे या रनवे को संचालन की अनुमति देने से पहले इन Test Flights का सफलतापूर्वक पूरा होना आवश्यक होता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी नेविगेशन उपकरण International Civil Aviation Organization (ICAO) द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन कर रहे हैं।


कैलिब्रेशन फ्लाइट के दौरान विशेष रूप से सुसज्जित विमान विभिन्न ऊँचाइयों और कोणों पर उड़ान भरते हैं। इन विमानों में अत्याधुनिक Flight Inspection Equipment लगे होते हैं जो सिग्नल की सटीकता और ताकत को रिकॉर्ड करते हैं। इस प्रक्रिया में Pre-Calibration Briefing, Flight Data Collection और Post-Flight Analysis जैसे कई चरण शामिल होते हैं। आमतौर पर, दो पायलट और एक Flight Inspector इस मिशन को संचालित करते हैं। उड़ान के दौरान प्राप्त डेटा को बाद में विश्लेषित किया जाता है ताकि नेविगेशन सिस्टम की कार्यक्षमता की पुष्टि की जा सके और किसी भी तकनीकी असंगति को दूर किया जा सके।


Calibration Flight का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह विमानन सुरक्षा का अभिन्न हिस्सा है। इससे सुनिश्चित होता है कि हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली (ATC) और ज़मीनी नेविगेशन उपकरण सही ढंग से काम कर रहे हैं। किसी भी तकनीकी त्रुटि को उड़ान से पहले पहचानकर सुधारा जा सकता है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और उड़ान संचालन की विश्वसनीयता बनी रहती है। इस प्रकार, कैलिब्रेशन फ्लाइट न केवल एक तकनीकी प्रक्रिया है बल्कि Aviation Safety की रीढ़ भी है, जो भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षित और सटीक हवाई सेवाओं की श्रेणी में बनाए रखती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *