Noida Hoarding Controversy: विज्ञापन के लालच में खतरे में पड़ी जानें, सेक्टर-62 की सड़क बनी ‘मौत का रास्ता’

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Noida Hoarding Controversy: जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने “Road Safety Month” की शुरुआत कर नागरिकों में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने की पहल की है, वहीं Noida Authority की लापरवाही इस मुहिम को मज़ाक बना रही है। सेक्टर-61 से 62 को जोड़ने वाली सड़क के Widening Project के बाद भी बीच सड़क में खड़े विशाल Advertisement Poles अब हादसों को न्योता दे रहे हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, ये लोहे के खंभे “विकास” के नाम पर “विनाश” की निशानी बन चुके हैं। रात के समय कम रोशनी में ये पोल अदृश्य हो जाते हैं, जिससे दोपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए यह मार्ग जानलेवा साबित हो रहा है।


ट्रैफिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये Ad Poles सड़क सुरक्षा नियमों का खुला उल्लंघन हैं। “सुरक्षा का मतलब सिर्फ helmet या seatbelt नहीं, बल्कि सड़क से हर अवरोध को हटाना भी है,” विशेषज्ञों का कहना है। स्थानीय RWA Members का आरोप है कि विज्ञापन विभाग राजस्व (Revenue) के लालच में इन खंभों को हटाने में रुचि नहीं दिखा रहा। उन्होंने कहा कि “क्या कुछ लाख रुपये की कमाई लोगों की जान से ज्यादा कीमती है?” विभागों के बीच तालमेल की कमी साफ झलकती है, Civil Department ने चौड़ीकरण का काम पूरा कर लिया, लेकिन Advertisement Department अब तक पोल हटाने को तैयार नहीं।


निवासियों और समाजसेवी संस्थाओं ने CEO, Noida Authority से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। शिकायत में स्पष्ट लिखा गया है कि मामूरा चौक से लेकर सेक्टर-62 अंडरपास तक सड़क के बीचोंबीच 5–6 बड़े विज्ञापन पोल खड़े हैं, जो हर दिन किसी न किसी हादसे का खतरा बढ़ा रहे हैं। लोगों ने कहा “अगर कोई बड़ी दुर्घटना होती है, तो जिम्मेदार कौन होगा?” Raftar Today की रिपोर्ट के अनुसार, यह मुद्दा पहले भी कई बार उठाया जा चुका है, मगर अब तक कार्रवाई नहीं हुई। जाहिर है, Development के नाम पर जनता की सुरक्षा से खिलवाड़ अब बर्दाश्त से बाहर है।

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