ग्रेटर नोएडा में अवैध कॉलोनियों का जाल, क्या प्राधिकरण की मिलीभगत से हो रहा है खुलेआम अवैध निर्माण?

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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र के विभिन्न गांवों वैदपुर, अच्छेजा, सादुल्लापुर, सुनपुरा, भनौता, कैलाशपुर, तिलपता, शोराजपुर और आमका आदि गावों में बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनियों और अवैध विला का निर्माण खुलेआम हो रहा है, क्या यह सब अवैध निर्माण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और कर्मचारियों के संरक्षण में चल रहा है? बिना कोई प्राधिकरण से नक़्शा पास कराए बड़ी बड़ी बिल्डिंग बनायी जा रही है। यह स्थिति इस ओर इशारा कर रही है कि प्राधिकरण के संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी इस पूरे मामले में या तो लापरवाह हैं या मिलीभगत में शामिल हैं।

जिस ज़मीन पर उद्योग लगाने और रोजगार देने के बड़े सपने दिखाए गए थे, आज उसी जमीन पर अवैध निर्माण हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि प्राधिकरण की अनुमति और निगरानी के बिना इतने बड़े स्तर पर निर्माण संभव नहीं है, प्राधिकरण के कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की मिलीभगत से अवैध निर्माण हो रहा हैं। आपने जन्म के उद्देश्य को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण भूल चुका है।

प्राधिकरण के अधिकारी काग़ज़ों पर प्लान बनाते हैं प्लानिंग बनने के बाद वह प्लानिंग कॉलोनाइजर के पास पहुँच जाती है फिर पता लगता है कि उस कॉलोनी को ध्वस्त नहीं किया गया। लेकिन उसके पीछे के कारणों का पता नहीं चल पाता है।
बुलडोजर चलाने की जो बड़ी बड़ी बातें की जाती थी सभी बातें हवा हवाई हो गई ग़रीब और भलीभाँति जनता को कॉलोनाइजर प्राधिकरण से वैध बताकर के लूट रहे हैं तो क्या प्राधिकरण अपनी ज़िम्मेदारी को भूल चुका है या प्राधिकरण की तरफ़ से खुली छूट दे दी गई है और अगर खुली छूट दे दी गई है तो उसका लाभ आम आदमी को भी मिलना चाहिए। वो भी ग्रेटर नोएडा की इन कालोनियों में सम्मान के साथ अपना आशियाना बना सके।

एजेंसी बताएगी कि अवैध निर्माण कहा हो रहा
पिछले दिनों बताया गया था कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अवैध निर्माण को चिन्हित करने के लिए एक एजेंसी हायर कर रही है जोकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को बताएगी, कि अवैध निर्माण किस-किस खसरा पे हो रहा है उस पर भी लाखों रुपया प्राधिकरण के ख़र्च किए जाएंगे, लेकिन अगर अब तक भी प्राधिकरण के अधिकारियों को अवैध निर्माण की जानकारी नहीं है तो फिर अवैध निर्माण को रोकना असंभव है या तो वो जानकारी लेना नहीं चाहते या फिर उनके नीचे वाले अधिकारी उन्हें जानकारी देना नहीं चाहते है। 


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