ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में RTI की अनदेखी, पारदर्शिता पर उठे सवाल

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 भारत सरकार ने हर नागरिक को सूचना का अधिकार (RTI) देकर सरकारी संस्थाओं से सवाल पूछने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का हक दिया है। लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी इस अधिकार को मानो छीन लेने पर आमादा नज़र आते हैं।
क़ानून के तहत किसी भी RTI का जवाब 30 दिनों के भीतर देना अनिवार्य है, मगर प्राधिकरण के लिए यह समयसीमा कोई मायने नहीं रखती। आवेदकों को बार-बार प्राधिकरण के चक्कर लगाने पड़ते हैं और जवाब मिलने की कोई गारंटी नहीं रहती।

RTI लगाने वाले को ज़िम्मेदार अधिकारी जानकारी देने के बजाय गुमराह करते हैं। नतीजा यह है कि आवेदकों का समय और मेहनत दोनों बर्बाद होते हैं। सवाल उठता है कि क्या अधिकारी आम जनता के अधिकार छीनना चाहते हैं या फिर उन्हें डर है कि सही सूचना आने से उनकी कार्यप्रणाली की पोल खुल जाएगी।
जनता अब यही पूछ रही है कि जब सरकार ने सूचना पाने का अधिकार दिया है, तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण उसे क्यों दबाने की कोशिश कर रहा है?

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