Bihar SIR Row: सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी, कहा- राजनीतिक दल रहें सक्रिय, मतदाताओं को मिले मदद

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Bihar SIR Row: बिहार Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया को लेकर चल रहे विवाद पर Supreme Court ने सोमवार को अहम टिप्पणी की। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिहार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट (Draft Voter List) में दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समयसीमा 1 सितंबर के बाद भी प्रभावी रहेगी, लेकिन इन पर विचार मतदाता सूची के अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही होगा। कोर्ट ने इस पूरे विवाद को "भरोसे का मुद्दा" करार देते हुए राजनीतिक दलों से खुद को सक्रिय करने की अपील की।


सुप्रीम कोर्ट ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) को आदेश दिया कि वह पैरालीगल वॉलंटियर्स (Paralegal Volunteers) को नियुक्त करे, जो मतदाताओं और राजनीतिक दलों को ऑनलाइन claims और objections दाखिल करने में मदद करेंगे। साथ ही, प्रत्येक वॉलंटियर को जिला एवं सत्र न्यायाधीश (District & Sessions Judge) के समक्ष गोपनीय रिपोर्ट सौंपनी होगी। यह रिपोर्ट 8 सितंबर को सुनवाई के दौरान रखी जाएगी।


इलेक्शन कमीशन (Election Commission) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने बताया कि 2.74 करोड़ मतदाताओं में से 99.5% लोगों ने अपने पात्रता दस्तावेज जमा कर दिए हैं। वहीं, राजद (RJD) के दावों पर जवाब देते हुए आयोग ने कहा कि पार्टी ने 36 नहीं बल्कि केवल 10 दावे दाखिल किए हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन मतदाताओं के दस्तावेज अधूरे हैं, उन्हें सात दिनों के भीतर नोटिस जारी किया जाएगा।


राजद और AIMIM ने चुनावी राज्य बिहार में इस प्रक्रिया की समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा बढ़ाने का आदेश देने से इनकार किया और कहा कि SIR एक निरंतर प्रक्रिया है। अदालत ने राजनीतिक दलों को चेताया कि वे केवल आरोप लगाने के बजाय सक्रिय भूमिका निभाएं और मतदाताओं की मदद करें। यह फैसला आने वाले Bihar Assembly Elections 2025 के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।

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