Allahabad High Court: संभल में सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद के ध्वस्तीकरण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक से किया इनकार, मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका

top-news

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल (Sambhal) में सरकारी तालाब की जमीन पर बनी मस्जिद और मैरिज हॉल (Marriage Hall) के ध्वस्तीकरण (Demolition) पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है। मस्जिद कमेटी की ओर से दायर याचिका (Petition) पर कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई, लेकिन अदालत ने प्रशासनिक कार्रवाई में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। इस फैसले से मुस्लिम पक्ष (Muslim Side) को बड़ा झटका लगा है। न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया।


Allahabad High Court: कोर्ट ने कहा – वैकल्पिक विधिक उपचार उपलब्ध है

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास सरकारी जमीन से बेदखली की कार्रवाई (Eviction Proceedings) के खिलाफ वैकल्पिक विधिक उपाय (Alternative Legal Remedy) उपलब्ध है। इसलिए याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता। बहस के बाद मुस्लिम पक्ष ने याचिका वापस ले ली। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता तहसीलदार के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल कर सकता है और अपीलीय प्राधिकारी (Appellate Authority) को निर्देश दिया गया कि वे हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रभावित हुए बिना, गुणदोष के आधार पर निर्णय लें।


तालाब की जमीन पर बना निर्माण

यह मामला संभल जिले के एक सरकारी तालाब की जमीन से जुड़ा है, जहां पर एक मैरिज हॉल और मस्जिद का निर्माण किया गया था। प्रशासन का आरोप है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी भूमि (Government Land) पर बना हुआ है। प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को चार दिन की मोहलत (Notice Period) दी थी ताकि वह अवैध निर्माण (Illegal Construction) हटा सके। लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ, तो प्रशासन ने ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी।


Allahabad High Court: मुस्लिम पक्ष की दलील और कोर्ट का रुख

मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक त्रिपाठी ने तर्क दिया कि प्रशासन ने जल्दबाजी में कार्रवाई की और गांधी जयंती व दशहरे जैसे विशेष दिनों में ध्वस्तीकरण का दिन चुना। उनका कहना था कि बरात घर (Barat Ghar) पहले ही तोड़ा जा चुका है और अब मस्जिद को गिराने की तैयारी चल रही है। हालांकि, कोर्ट ने इस पर कोई अंतरिम राहत (Interim Relief) नहीं दी और कहा कि मामला कानूनी प्रक्रिया (Legal Process) के तहत निपटाया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *