Allahabad High Court: यूपी हाईकोर्ट का सख्त रुख! किशोरों की यौन शिक्षा में लापरवाही पर केंद्र व राज्य सरकार पर 15-15 हजार का हर्जाना

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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने किशोर बच्चों को sexual health education उपलब्ध कराने से जुड़ी जनहित याचिका पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से समय पर जवाब न देने पर नाराजगी जताते हुए दोनों पर ₹15,000 का हर्जाना लगाया। याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र की Adolescent Education Programme (AEP) 2005 को यूपी में प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। अदालत ने पाया कि राज्य सरकार द्वारा दायर हलफनामा संतोषजनक नहीं था, जिसके बाद कोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत और बेहतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। हलफनामा दाखिल करने वाले अधिकारी, सहायक सचिव प्रेम चंद्र कुशवाहा, पर व्यक्तिगत रूप से भी 15 हजार रुपये का हर्जाना कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया गया।


सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कोई भी प्रतिनिधि कोर्ट में उपस्थित नहीं हुआ और न ही मांगा गया जवाब दाखिल किया गया। इस पर Allahabad High Court ने संबंधित केंद्रीय विभागों पर भी समान राशि का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि adolescent health awareness जैसे गंभीर विषय पर सरकारों की यह लापरवाही अस्वीकार्य है। अदालत ने कहा कि 10 से 18 वर्ष की किशोरावस्था में बच्चे शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से गुजरते हैं, ऐसे में proper guidance, reproductive health knowledge और सही यौन शिक्षा अत्यंत ज़रूरी है।


जनहित याचिका नैतिक पार्टी की ओर से विनोद कुमार सिंह और एक अन्य द्वारा दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, केंद्र सरकार की योजना के तहत स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को वैज्ञानिक, सुरक्षित और age-appropriate यौन स्वास्थ्य शिक्षा दी जानी चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया। Allahabad High Court ने साफ कहा कि राज्य सरकार इस योजना को गंभीरता से लागू करने और राज्यभर में public awareness campaigns चलाने की ठोस योजना पेश करे। अदालत के इस रुख से उम्मीद बढ़ गई है कि यूपी में किशोरों के लिए sexual health education को लेकर जल्द ही ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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