Uttar Pradesh: यूपी में SIR Process को लेकर शिक्षामित्रों में उबाल, 7 दिसंबर को बनेगी अगली रणनीति

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Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में जारी SIR process को लेकर शिक्षामित्रों में नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत लगभग 1.42 लाख Shikshamitras को नई-नई जिम्मेदारियां दी जा रही हैं, जिनमें अब SIR कार्य भी शामिल है। पूरी प्रक्रिया मोबाइल ऐप और फोन के माध्यम से पूरी की जानी है, जबकि शिक्षामित्र मात्र ₹10,000 honorarium पर काम कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि इतने कम मानदेय में वे Android phone, इंटरनेट और अन्य संसाधन कैसे जुटाएं? इसी मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने सरकार पर नाराजगी जताई है और इस मामले को लेकर आवाज बुलंद की है।


शिक्षामित्रों का आरोप है कि अब 15 वर्ष से अधिक आयु के असाक्षरों की गणना का अतिरिक्त कार्य भी उन्हीं को सौंप दिया गया है, जो पूरी तरह मोबाइल ऐप आधारित है। संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा कि कार्यभार बढ़ाने से पहले सरकार को मानदेय बढ़ाना चाहिए या फिर कार्य हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने चाहिए। शिक्षामित्रों ने चेतावनी दी है कि अब वे शोषण सहन नहीं करेंगे और इसी क्रम में 7 दिसंबर को लखनऊ में एक महत्त्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में प्रदेश, मंडल और जिला पदाधिकारियों के साथ आगे की रणनीति तय की जाएगी।


इधर शिक्षकों में भी चयन वेतनमान (Selection Pay Scale) को लेकर गहरी नाराजगी है। दस वर्ष की संतोषजनक सेवा के बाद मिलने वाले इस लाभ के लिए शासन ने दिसंबर 2024 में पांच ऑनलाइन मॉड्यूल जारी किए थे। इसके बावजूद लगभग 50,000 teachers अभी भी इसके लाभ से वंचित हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने आरोप लगाया कि 25 जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इस विषय में लापरवाही बरत रहे हैं। उन्होंने मांग की कि चयन वेतनमान रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, ताकि शिक्षकों को उनका due benefit समय पर मिल सके।

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