नोएडा बना अंग प्रत्यारोपण का हब, 6 अस्पतालों में होता है आर्गन ट्रांसप्लांट

- sakshi choudhary
- 17 Apr, 2023
नोएडा। नोएडा शहर आज अपना 48वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस दौरान शहर स्वास्थ्य के क्षेत्र में आए बदलाव का साक्षी रहा है। निजी अस्पतालों के आगमन से सुपर स्पेशियलिटी सेवा समेत किडनी ट्रांसप्लांट, जटिल सर्जरी व कैंसर का इलाज भी होने लगा है। शहर अंग प्रत्यारोपण के लिए देश के साथ विदेश में रहने वाले लोगों की पहली पसंद बना है।
शहर की स्थापना से पहले यहां सर्दी, जुकाम, बुखार का इलाज होता था। जटिल बीमारियों के इलाज के लिए दिल्ली की दौड़ लगाना और घंटों कतार में खड़े रहना लोगों की मजबूरी थी। 80 के दशक तक लगभग ऐसी ही स्थिति रही, लेकिन 90 के दशक से सरकारी और निजी स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार शुरू हुआ।
अब सुपर स्पेशियलिटी सेवा समेत किडनी ट्रांसप्लांट, जटिल सर्जरी व कैंसर का इलाज भी शहर में होने लगा है। शहर के जेपी, फोर्टिस, अपोलो, मेट्रो, आईकेयर, यथार्थ, मैक्स अस्पताल में लिवर, किडनी, हृदय, फेफड़े, आंत, कार्निया ट्रांसप्लांट हो रहे हैं। प्रत्यारोपण के क्षेत्र में जेपी अस्पताल ने तो नई इबारत गढ़ी हैं। अकेले जेपी अस्पताल ने पिछले आठ वर्षों में एक हजार से अधिक लिवर व किडनी प्रत्यारोपित कर मरीजों को नई जिंदगी दी है। फोर्टिस अस्पताल ने भी लिवर व किडनी ट्रांसप्लांट में नई पहचान बनाई है। इन उपलब्धियों के बाद अब शहर को ट्रांसप्लांट हब के रूप में देखा जाने लगा है।
देश-विदेश के मरीज आ रहे नोएडा
शहर में दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब समेत विदेशों के मरीज भी लिवर व किडनी ट्रांसप्लांट के लिए आ रहे हैं। इनमें अफगानिस्तान, मंगोलिया, ईराक, ईरान, नाइजीरिया, किर्गिजि़स्तान, दुबई, मारीशस, नेपाल, भूटान जैसे देशों के मरीज ज्यादा हैं।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी बड़ी अड़चन
48 साल पहले जिले में एक भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल नहीं था। अब इनकी तादाद 150 से ज्यादा है। पहले सर्जरी और जांच की सुविधाएं सीमित थीं। अब आइसीयू, आक्सीजन, आपूर्ति बेड, सीएचसी पर प्रथम रेफरल इकाइयों (एफआरयू) सुविधा, सिजेरियन डिलीवरी, टीकाकरण और कोरोना जैसी महामारी से निपटने के इंतजाम हैं। समस्या है तो विशेषज्ञ चिकित्सकों की। सभी जरूरी संसाधन के बावजूद चिकित्सकों के अभाव में जिला अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं प्रभावित हैं।
30 सदस्यों से शुरू हुआ सफर 900 तक पहुंचा
अध्यक्ष डा. सुनील अवाना बताते हैं कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) नोएडा की स्थापना वर्ष 1991 में की गई थी। शुरुआत में संस्था से महज 30 डाक्टर जुड़े थे, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 900 से अधिक हैं। संस्था से सभी तरह के विशेषज्ञ डाक्टर जुड़े हैं। जो जटिल सर्जरी, कैंसर, हृदय, लिवर, किडनी, मानसिक रोग, पेट रोग, नेत्र रोग, स्त्री रोग का इलाज करने में सक्षम हैं। शहर में जाने-माने जनरल फिजिशियन, नेत्र रोग, हृदय रोग,एंडोक्रिनोलाजिस्ट, आन्कोलाजिस्ट, स्त्री रोग, गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट, ईएनटी, साइकोलाजिस्ट, न्यूरोलाजिस्ट, नेफ्रोलाजिस्ट, यूरोलाजिस्ट, आर्थोपेडिक, दंत, त्वचा, शिशु रोग, दंत रोग विशेषज्ञ रहते हैं।
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