Holi 2025: महाकुंभ के बाद अब लोकनाथ की ऐतिहासिक होली की धूम! कुर्ता फाड़ मस्ती और हथौड़ा बारात बने आकर्षण

top-news

Holi 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के भव्य आयोजन के बाद अब शहर में लोकनाथ की ऐतिहासिक होली की तैयारियां जोरों पर हैं। चौक मोहल्ले के प्रसिद्ध लोकनाथ चौराहे पर दशकों से चली आ रही इस परंपरा को निभाने के लिए हजारों लोग उमड़ते हैं। प्राकृतिक रंगों और डीजे की धुनों के साथ मनाए जाने वाले इस अनूठे होली उत्सव की शुरुआत भगवान शिव को रंग और भांग की गुजिया अर्पित करने से होती है। लोकनाथ होली मिलन संघ के अध्यक्ष निखिल पांडेय ने बताया कि इस वर्ष महाकुंभ से बढ़े उत्साह ने लोकनाथ की होली को और भी भव्य बना दिया है। Prayagraj और आसपास के शहरों से युवा इस होली हुड़दंग में शामिल होने आते हैं, जिससे यह आयोजन सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक बन जाता है।

Holi 2025: कुर्ता फाड़ होली ने जीता लोगों का दिल

लोकनाथ की होली को कुर्ता फाड़ होली के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह कोई परंपरा नहीं, बल्कि होली के जोश और मस्ती में लोगों द्वारा किया जाने वाला एक अनौपचारिक उल्लास है। पुराने समय में यह होली टेसू, गुलाब, अपराजिता जैसे प्राकृतिक फूलों के रंगों से खेली जाती थी, लेकिन अब यह डीजे की धुन पर युवाओं के हुड़दंग में बदल चुकी है। इस ऐतिहासिक आयोजन में मदन मोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरू, वी.पी. सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे दिग्गज नेता और निराला, पंत, बच्चन जैसे महाकवि शामिल होते आए हैं। इसके अलावा बात अगर Holi 2025 की करें तो, Prayagraj में दारागंज की दमकल की होली भी प्रसिद्ध है, जहां फायर ब्रिगेड की पुरानी गाड़ियों से रंगों की फुहार छोड़ी जाती है।

इन खेलों का होता है आयोजन

होली की पूर्व संध्या पर हथौड़ा बारात और कद्दू भंजन का आयोजन विशेष आकर्षण रहता है। चौक मोहल्ले के केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज से निकलने वाली हथौड़ा बारात पूरे क्षेत्र में घूमकर वापस स्कूल प्रांगण पहुंचती है, जहां महापौर गणेश केसरवानी और किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यनंद गिरी द्वारा बुराई के प्रतीक कद्दू का भंजन किया जाता है। Holi 2025 की इस अनूठी परंपरा का उद्देश्य बुराइयों के नाश का संदेश देना है। हथौड़ा बारात के संयोजक संजय सिंह के अनुसार, यह परंपरा भगवान विष्णु के कहने पर विश्वकर्मा द्वारा हथौड़े के सृजन की कथा से प्रेरित है। Prayagraj की लोकनाथ की यह ऐतिहासिक होली सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और सामाजिक सौहार्द का उत्सव है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *