Digital Arrest: साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी बन बनाया शिकार, करोड़ों गंवाने की चौंकाने वाली साजिश!

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Digital Arrest: 75 वर्षीय सेवानिवृत्त सेना अधिकारी साइबर ठगी के शिकार हो गए, जानकारी के लिए बता दे कि इस ठगी में उन्होंने 1.10 करोड़ रुपये गंवा दिए। घटना उस समय हुई जब उन्हें अज्ञात नंबर से कॉल आई, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनका मोबाइल नंबर बंद किया जा सकता है और उनके नाम पर Cyber Crime के कई मामले दर्ज हैं। कॉलर ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और सुभाष को धमकाया कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। डर और तनाव में आकर सुभाष ने कॉलर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन किया और अपने बैंक खातों से बड़ी धनराशि ट्रांसफर कर दी। आइए जानते है क्या है पूरा मामला। डिजिटल अरेस्ट के इस मामले की पूरी जानकारी के लिए खबर को अंत तक जरूर पढ़े।

Digital Arrest के खेल में फंसा कर किया धोखाधरी

दरअसल इस Cyber Crime को अंजाम देने के लिए कॉलर ने खुद को मुंबई के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार बताया और सुभाष को डिजिटल अरेस्ट करने का नाटक किया। वीडियो कॉल के जरिए उनसे पूछताछ की गई और बैंक खातों से संबंधित जानकारी ली गई। कॉलर ने उन्हें विश्वास दिलाया कि उनका पैसा जांच के लिए आरबीआई के सीक्रेट खाते में ट्रांसफर किया जाएगा, और यदि यह सही साबित हुआ तो वापस कर दिया जाएगा। घबराए हुए सुभाष ने अपने और अपनी पत्नी के बैंक खातों से बड़ी रकम ट्रांसफर कर दी। जब कॉलर ने अन्य निवेशों की जानकारी मांगी, तो सुभाष ने अपनी एफडी तोड़कर भी पैसा ट्रांसफर कर दिया। अंततः बैंक मैनेजर के सवाल करने पर उन्हें एहसास हुआ कि वे Digital Arrest के शिकार हो गए हैं।

इस तरह के उपायों से दे साइबर अपराधी को चकमा

जानकारी के लिए बता दे कि डिजिटल अरेस्ट का कोई कानूनी आधार नहीं होता। किसी भी अनजान कॉलर के कहने पर धनराशि ट्रांसफर न करें और ऐसे मामलों की तुरंत स्थानीय पुलिस या Cyber Crime सेल में शिकायत करें। सरकारी एजेंसियां कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर पूछताछ नहीं करतीं और न ही किसी को बैंक खातों में धनराशि ट्रांसफर करने के लिए कहती हैं। Digital Arrest से बचाव के लिए सतर्क रहें, जागरूक रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत संबंधित प्राधिकरण को दें।

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