भारत में Lysosomal Storage Disorder से जूझ रहे बच्चों की जिंदगी संकट में, IMPF ने सरकार से तुरंत बढ़ी सहायता की मांग की
- sakshi choudhary
- 11 Dec, 2025
भारत में ‘Lysosomal Storage Disorder’ से पीड़ित बच्चों की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकार दोनों के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है। यह एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत खतरनाक बीमारी है, जो तब होती है जब शरीर की कोशिकाओं में मौजूद लाइसोसोम अपना कार्य सही ढंग से नहीं कर पाते। लाइसोसोम सामान्य रूप से अनावश्यक या हानिकारक पदार्थों को तोड़ने व रीसायकल करने का काम करते हैं, लेकिन एंजाइम की कमी के कारण ये पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। इससे कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होकर धीरे-धीरे मस्तिष्क, हृदय, लिवर और हड्डियों जैसे महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती हैं। इस बीमारी का इलाज महंगा और लंबा होता है, जिसमें Enzyme Replacement Therapy यानी ERT मुख्य उपचार विकल्प माना जाता है।
इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए Indian Medical Parliamentarians Forum (IMPF) ने सरकार को चेतावनी भरा पत्र लिखा है। देशभर के 45 डॉक्टर-सांसदों से मिलकर बना यह फोरम कहता है कि दर्जनों बच्चे राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति NPRD 2021 के अंतर्गत मिलने वाली सहायता न मिलने के कारण जीवन-मृत्यु की स्थिति में पहुंच गए हैं। फिलहाल ERT की लागत बेहद अधिक है और सरकार द्वारा 50 लाख रुपये की तय सहायता सीमा इन बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है। IMPF का कहना है कि सहायता प्रक्रिया में विलंब और आर्थिक सीमा दोनों ही उपचार को बाधित कर रहे हैं।
फोरम की मांग है कि सरकार न केवल सहायता सीमा बढ़ाए बल्कि इलाज को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए आवश्यक फंडिंग को भी तुरंत मंजूरी दे। विशेषज्ञों का मानना है कि समय पर उपचार मिलने पर इन बच्चों की जीवन प्रत्याशा काफी बढ़ सकती है। Lysosomal Storage Disorder को लेकर जागरूकता बढ़ाना और Rare Disease Treatment के लिए बेहतर नीति बनाना इस समय भारत की बड़ी आवश्यकता है, क्योंकि समय पर हस्तक्षेप ही इन मासूम जिंदगियों को बचा सकता है।
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