Greater Noida Murder Case: Court ने 5 साल पुराने हत्याकांड में एक ही परिवार के पांच लोगों को सुनाई उम्रकैद की सजा

- sakshi choudhary
- 08 Oct, 2025
Greater Noida Murder Case: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार मिश्रा की अदालत ने पांच साल पुराने Murder Case में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने एक ही परिवार के पांच सदस्यों पिता, पुत्र, पौत्र और पुत्रवधू को Life Imprisonment (आजीवन कारावास) की सजा दी है। इस पूरे परिवार को दोषी ठहराते हुए अदालत ने प्रत्येक पर ₹34,000 का जुर्माना (Fine) भी लगाया है। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया तो सभी दोषियों को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। यह फैसला 29 जून 2020 को हुए Murder and Firing Incident से जुड़ा है, जिसने पूरे क्षेत्र को दहला दिया था।
अभियोजन के अनुसार, घटना ग्रेटर नोएडा के नियाना गांव (Kasna area) की है, जहां वाहन खड़ा करने को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि यह खूनी झड़प में बदल गया। वादी बाबूराम ने पुलिस को बताया कि उनका भतीजा सोनू पुत्र वीर सिंह बिलासपुर से घर लौट रहा था। रास्ते में जसमाल के गेट के पास ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़ी थी। जब सोनू ने रास्ता देने को कहा, तो Accused Family Members जसमाल, उसका पुत्र राजकुमार, पौत्र निशांत उर्फ निशु, मोन्टी और पुत्रवधू निरोज ने न सिर्फ उसे गालियां दीं बल्कि मारपीट भी की। किसी तरह सोनू बचकर घर पहुंचा और अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी।
इसके बाद सोनू के परिजन राजेन्द्र सिंह, बिजेन्द्र सिंह और देवेन्द्र सिंह शिकायत करने जसमाल के घर पहुंचे। तभी वहां मौजूद आरोपियों ने उन पर हमला बोल दिया। जसमाल ने अपनी Licensed Gun निकालकर निशांत को दे दी, जबकि निरोज ने घर से दो फरसे निकालकर राजकुमार और मोन्टी को थमा दिए। निशांत ने बंदूक से बिजेन्द्र पर गोली चला दी जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई। वहीं फरसे से हमले में राजेन्द्र और देवेन्द्र गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना के बाद आरोपी धमकी देते हुए फरार हो गए। पुलिस ने मौके से दो Blood-Stained Axes और एक लाइसेंसी बंदूक बरामद की थी।
पुलिस जांच (Police Investigation) और अदालत में चले मुकदमे के दौरान 14 गवाहों (Witnesses) ने बयान दिए। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपियों ने घटना के बाद Evidence Tampering की कोशिश की और शव को घर में घसीटने की योजना बनाई थी। अदालत ने सबूतों और गवाहियों के आधार पर आरोपियों को IPC की धाराओं 147, 148, 149, 323, 324, 326, 302, 307, 504, 506 के तहत दोषी पाया। बचाव पक्ष ने उम्र और पारिवारिक परिस्थिति के आधार पर सजा कम करने की मांग की, परंतु अदालत ने इसे अस्वीकार करते हुए Maximum Punishment दी। इस फैसले से पीड़ित परिवार को पांच साल बाद इंसाफ मिला है।
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