Allahabad High Court: ट्रायल कोर्ट के फैसलों में ‘हिंग्लिश’ पर लगी रोक, कहा– निर्णय पूरी तरह हिंदी या अंग्रेजी में ही हों
- sakshi choudhary
- 15 Nov, 2025
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के परीक्षण न्यायालयों में बढ़ती ‘हिंग्लिश’ की प्रवृत्ति पर गंभीर आपत्ति जताई है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट अपने फैसले या तो पूरी तरह हिंदी में लिखें या पूरी तरह अंग्रेजी में, लेकिन दोनों भाषाओं का मिश्रण बिल्कुल अस्वीकार्य है। न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा और न्यायमूर्ति अजय कुमार द्वितीय की खंडपीठ ने आगरा की सत्र अदालत द्वारा दिए गए 54 पन्नों के फैसले को “अवांछनीय परंपरा” का उदाहरण बताते हुए आदेश की प्रति मुख्य न्यायाधीश तथा प्रदेशभर के न्यायिक अधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि हिंदी भाषी राज्य में फैसलों को सरल भाषा में लिखना आवश्यक है ताकि आम आदमी भी अदालत के तर्क और निर्णय को समझ सके।
हाईकोर्ट ने बताया कि आगरा के इस फैसले में 199 पैरा में से 63 अंग्रेजी में, 125 हिंदी में और 11 पैरा में दोनों भाषाओं का मिश्रण पाया गया। कुछ वाक्य ऐसे थे जिनमें आधा हिस्सा हिंदी और आधा अंग्रेजी में लिखा गया था। Allahabad High Court ने स्पष्ट किया कि यदि निर्णय हिंदी में लिखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के अंग्रेजी उद्धरण यथावत दिए जा सकते हैं, लेकिन उनका हिंदी अनुवाद भी अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए। वहीं अंग्रेजी में लिखे निर्णय में हिंदी में दर्ज डाइंग डिक्लेरेशन को जस का तस रखा जा सकता है। अदालत का कहना है कि भाषा का मिश्रण फैसले की स्पष्टता और उसकी समझ को जटिल बनाता है, जिससे litigants निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते।
यह निर्देश आगरा के बरहन थाना क्षेत्र से जुड़े एक दहेज हत्या मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया। ट्रायल कोर्ट ने 2021 में मृतका अंकिता के पति रवि को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था, जिसे मृतका के पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। Allahabad High Court ने पाया कि मृत्यु सात वर्ष के भीतर और विषाक्तता से हुई थी, परंतु दहेज मांग से संबंधित अत्याचार साबित नहीं हो सके। पति द्वारा पत्नी को अस्पताल ले जाना और अंतिम संस्कार की व्यवस्था करना उसके सद्भावपूर्ण व्यवहार को दर्शाता है। इसी आधार पर अपील खारिज की गई। हालांकि कोर्ट ने निर्णय को युक्तिसंगत माना, लेकिन उसकी भाषा पर कड़ी टिप्पणी करते हुए भविष्य में मिश्रित भाषा के प्रयोग से बचने के निर्देश दिए।
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